दिवाली पूजन मुहूर्त और तिथि,पूजा की सामग्री और पूजा कैसे करे?
दीपावली 2023 - आइये जानते है दीपावली कब है, दिवाली तिथि और मुहूर्त,पूजा की सामग्री और पूजा कैसे करे ?
दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म का सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है। यह त्योहार भारत के अलावा नेपाल, श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और फिजी जैसे देशों में भी मनाया जाता है। दीपावली का मतलब होता है 'दीपों की पंक्ति'। इस त्योहार के दिन लोग अपने घरों में दीपक जलाते हैं, जिससे अंधकार को दूर कर के उजाला फैला सकें। यह त्योहार आमतौर पर कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। दीपावली के त्योहार का मुख्य उद्देश्य अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। इस दिन भगवान श्री राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। अयोध्या की जनता ने उनके स्वागत में पूरे नगर में दीपक जलाए थे।
दीपावली मनाने के पीछे अन्य कई कथाएं भी हैं, जैसे की महालक्ष्मी का जन्म, नरकासुर के मारे जाने का दिन आदि।
इस त्योहार के दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, नए कपड़े पहनते हैं, मिठाई और विशेष व्यंजन बनाते हैं और अपने प्रियजनों को उपहार देते हैं। पटाखे और आतिशबाजी भी इस त्योहार का हिस्सा है। लेकिन पर्यावरण और स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से पटाखों के प्रदूषण को देखते हुए, कई लोग अब उन्हें न जलाने की प्रक्रिया में हैं।
आजकल, दीपावली को विशेष रूप से समुदाय की एकता, साझेदारी और भाईचारे के रूप में मनाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग इसे साझा कर सकें।
कई मुस्लिम भाई भी इस त्योहार को मनाते है।
कब है दिवाली 2023?
दिवाली 2023 को 12 नवंबर को मनाने की योजना है। दिवाली को हर साल हिंदू कैलेंडर के कार्तिक मास में अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष, कार्तिक मास की अमावस्या 12 नवंबर को दोपहर 2:44 बजे से शुरू होकर 13 नवंबर को दोपहर 2:56 बजे तक रहेगी। हमारे धर्म में अधिकतर त्योहार सूर्योदय के अनुसार मनाए जाते हैं, लेकिन दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है और इसे प्रदोष काल में करना अधिक शुभ माना जाता है। और क्योंकि प्रदोष काल का समय 12 नवंबर को है, इसलिए दिवाली का पर्व भी उसी दिन मनाया जाएगा।
दिवाली 2023 की तारीख को लेकर थोड़ी असंजस है क्योंकि कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर 2:44 बजे से शुरू होकर 13 नवंबर को दोपहर 2:56 बजे तक चलेगी। हिंदू धर्म में अधिकतर त्योहार सूर्योदय के अनुसार मनाए जाते हैं, लेकिन दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है और इसे प्रदोष काल में करना अधिक शुभ माना जाता है। और प्रदोष काल की पूजा का समय 12 नवंबर को है, इसलिए दिवाली का पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा।
दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त
- दिवाली पूजा का शुभ समय 12 नवंबर की शाम 5:40 बजे से 7:36 बजे तक है।
- लक्ष्मी पूजा के लिए विशेष मुहूर्त रात 11:39 बजे से मध्यरात्रि 12:31 बजे तक है। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, इस समय में पूजा करने से जीवन में अधिक सुख-समृद्धि मिलेगी।
पूजा की सामग्री - दीपावली पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री आमतौर पर इस्तेमाल होती है:
- कलश - पूजा में जल को स्थान देने के लिए।
- रोली, अक्षत (चावल) - तिलक और पूजा के लिए।
- जनेऊ - पूजा में प्रयोग होता है।
- पान का पत्ता - पूजा में प्रस्तुत करने के लिए।
- सुपारी, इलायची, लौंग, हल्दी टुकड़े - पूजा की थाली में रखने के लिए।
- घी या तेल की दीपक/दिया - दीपदान के लिए।
- अगरबत्ती - पूजा के दौरान सुगंध के लिए।
- कम्फर या कपूर - आरती के लिए।
- मिष्ठान - प्रसाद के रूप में।
- फूल - माला और पूजा में प्रस्तुत करने के लिए।
- ताम्बा की थाली और लोटा - पूजा में जल और सामग्री रखने के लिए।
- मौली - कलश और भगवान के चरण में बांधने के लिए।
- धूप - पूजा के दौरान सुगंध के लिए।
- गंगाजल - पवित्रता के लिए।
- पूजा की घंटी - पूजा के दौरान बजाने के लिए।
- पीली सरसों - पूजा में प्रयोग होता है।
- चंदन - पूजा और तिलक के लिए।
- मुरौव्वा (मक्खना) और बाताशा** - पूजा में प्रस्तुत करने के लिए।
- सोने या चांदी की मुद्रा - पूजा में प्रस्तुत करने के लिए।
- सिन्दूर - मां लक्ष्मी को अर्पित करने के लिए।
यह सूची बदल सकती है आपके परिवार की परंपरा और स्थानीय रीति-रिवाज के अनुसार। इसलिए, अधिक जानकारी के लिए अपने परिवार या स्थानीय पंडित से संपर्क करें।
दीपावली पूजा कैसे करें:
दीपावली पूजा की विधि परंपरागत रूप से हर परिवार में थोड़ी-थोड़ी भिन्नता होती है। फिर भी, आम तौर पर निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन किया जाता है:
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स्थल की सफाई: पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और उसे रंगोली से सजाएं।
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कलश स्थापित करें: एक कलश लें और उसमें पानी भरें। कलश के मुंह पर पान का पत्ता रखें और उस पर एक नारियल रखें।
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दिये जलाएं: घी या तेल के दिये जलाकर पूजा स्थल के चारों ओर रखें।
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पूजा की थाली तैयार करें: पूजा की थाली में रोली, अक्षत, मौली, सुपारी, हल्दी, इलायची, लौंग आदि सामग्री रखें।
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प्रतिमा स्थापित करें: श्री गणेश और माँ लक्ष्मी की प्रतिमा या फोटो को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
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पूजा का आरंभ: पहले गणेश जी की पूजा करें फिर माँ लक्ष्मी की पूजा करें।
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नैवेद्य प्रस्तुत करें: मिष्ठान जैसे की हलवा, पूरी और कढ़ी को भगवान को प्रस्तुत करें।
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आरती: भगवान गणेश और माँ लक्ष्मी की आरती करें।
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प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद सभी उपस्थित लोगों को बाँटें।
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दीपदान: पूजा के बाद घर के चारों ओर और घर के बाहर दिये जलाएं।
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प्रार्थना: अंत में परिवार के सभी सदस्य मिलकर प्रार्थना करें कि भगवान उनके घर में सुख-समृद्धि लाएं।
इस पूजा विधि में भिन्नता हो सकती है, आपके परिवार और स्थानीय रीति-रिवाज के अनुसार। अधिक विवरण और विशेष जानकारी के लिए आपको स्थानीय पंडित से परामर्श लेना चाहिए।